कटि भग्न एक आयुर्वेदिक शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना है: कटि = कमर या लोअर बैक (lower back) भग्न = टूटा हुआ, खंडित या विस्थापित 🔷 कटि भग्न का अर्थ (Meaning of Kati Bhagna):आयुर्वेद में कटि भग्न को कमर की किसी हड्डी, मांसपेशी या नस के टूटने, फिसलने या विकृति के रूप में समझा जाता है — आज के आधुनिक शब्दों में इसे निम्न में गिना जा सकता है: Lumbar Fracture (कमर की हड्डी टूटना) Herniated Disc / Slip Disc (डिस्क का फिसलना) Sciatica (साइटिका - नस में खिंचाव या सूजन) Lower back pain due to spinal injury or degeneration (रीढ़ की हड्डी में घिसाव) 🔷 लक्षण (Symptoms):कमर में तेज़ या लगातार दर्द चलने, झुकने, उठने में कठिनाई एक या दोनों पैरों में सुन्नपन या झुनझुनाहट पैर में कमजोरी दर्द बैठने या लेटने से बढ़ जाना साइटिका जैसा दर्द — जो कमर से नीचे पैर की तरफ जाता है 🔷 कारण (Causes):गिरना या चोट लगना भारी वजन उठाना गलत मुद्रा में बैठना/चलना रीढ़ की हड्डी में डिस्क का फिसलना स्नायु या मांसपेशियों की कमजोरी बढ़ती उम्र में हड्डियों का कमजोर होना 🔷 आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से कटि भग्न:इसे वात विकार माना जाता है, विशेष रूप से जब वात दोष शरीर में असंतुलित हो जाता है, तो वह हड्डियों (asthi dhatu) और नसों (snayu) पर असर करता है। आयुर्वेद में इसे "कटि स्थानगत वात" या "कटि भग्न" के रूप में वर्णित किया गया है। 🔷 उपचार (Treatment in Ayurveda & Modern Medicine):आयुर्वेदिक उपाय:पंचकर्म थेरेपी: बस्ति (एनिमा), अभ्यंग (तेल मालिश), स्वेदन (स्टीम) तेल: महा नारायण तेल, विंशगुंधा तेल से मालिश औषधियाँ: योगराज गुग्गुलु, दशमूल काढ़ा, आरोग्यवर्धिनी वटी (सहायक रूप में) व्यायाम/योग: विशेष योगासन जैसे भुजंगासन, शलभासन (चिकित्सकीय सलाह के अनुसार) आधुनिक चिकित्सा:X-ray / MRI द्वारा जांच Painkillers, Physiotherapy Rest, hot fomentation (गरम सिकाई) Surgery (केवल गंभीर मामलों में) 🔷 क्या करें और क्या न करें (Do's & Don'ts):करें (✅) | न करें (❌) |
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आराम करें, पीठ सीधी रखें | भारी वजन न उठाएं | आयुर्वेदिक तेल से मालिश करें | लंबे समय तक झुक कर न बैठें | गर्म पानी से सिंकाई करें | एक ही पोजीशन में न बैठें | उचित खानपान रखें | ठंड में सीधा संपर्क न करें |
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